बाबा पोखरिकेँ रौहक की कही
यादि अबैए बाबी हाथक दही
अशोक ठाढ़िसँ कूदि पोखरिमे
जाईठ छुबि कोना पानिमे बही
बनसी बनाबी कोना नूका कए
पूल्ली बनाबै लेल काटी खरही
छीन कs नानी हाथक मटकूरी
छोट-छोट हाथसँ छाल्ही मही
जखन अबैत गामक इआद
कनि-कनि कs हम नोरेमे बही
सभ सुख रहितो परदेशमे
माटिक बिछोह कते हम सही
मैरतो 'मनु' सभ सुख छोरि कs
मिथिलाक माटिपर हम रही
(सरल वार्णिक वर्ण, वर्ण-१२)
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