नहि हमरा सागक तोडन चाही
नहि हमरा पातक छोडन चाही
नव मिथिला निर्माणक बल लेने
शुभ मिथिला राजक जोडन चाही
सूपक भाँटा सन डोलति लोकक
मोनक बदलति नै मोरन चाही
बिनु जानक भय केने छोरै नहि
घर घर बिषबिश्षी घोडन चाहि
हक हमरा एखन अप्पन चाही
सभटा तीमन नहि फोडन चाही
(वर्ण-१३, मात्रा- नअ नअटा दीर्घ सभ पाँतिमे)