राखल ताक शान मोछक गामे गाम फिरै छी
कन्यादान देखि सोझाँ अपन कपार पिटै छी
पढ़ा लिखा कन्याके छलहु भेल निश्चिंत आब
रूप गुण शिक्षा संग देखु टाका सेहो गनै छी
दरमाहा से चलल पेट शौक राखल कात
बेटी बियाह ले सौंसे आब घुमि कर्ज़ मंगै छी
दियाद बैसि करै दियादी मित्रो फेरल मुह
कन्यादान के आस मे आब बास डीह बेचै छी
बीच हाट बेचि देह पहिरल हारल पाग
क'र जोड़ि सोझाँ आब समाधि के मोन गमै छी
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मंगलवार, 13 मार्च 2012
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