कसीदा - ए - विदेह
सब गाम स्वाद चीखि चीखि लोक आएल विदेह पर
गज़ल कता रुबाई हाइकू छन्द कविता वा हौ रोला
मातृभाषा मे लिखल देखि प्राण बाजल विदेह पर
सब जाति धर्म के मैथिल जे एकत्र भेला एक ठाम
अप्पन मोनक भाव कहै धूम जमल विदेह पर
रगडा झगड़ा आदर मान छैक अप्पन लोक जेका
शुभारंभ साहित्य विधा के सौंसे देखल विदेह पर
दुर्लभ छथि जे गुरुजन अन्यथा, ज्ञान भेटैक नहि
पाबि मार्गदर्शन कविगण नित्य बनल विदेह पर
देश विदेश गून्जल गान माय मिथिला भेली प्रसन्न
गूगल नतमस्तक भेल मिथिला सजल विदेह पर
छद्म साहित्य ख़सल पिछडि लोक केलक बहिस्कार
समानांतर अकॅडमी छे शान बनल विदेह पर
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