रहैए जान जाने सन
इ मंदिरमे नबाहे सन
हँसी ओकर छलै एहन
रहै जेना उधारे सन
कहू जे हमर की हेतै
अहाँ बिनु हम तँ आधे सन
कहैए नोर हुनकर जे
इ खेतो छै तबाहे सन
बखानब की पिआरक सुख
इ मस्ती छै शराबे सन
जँ एतै गजल हुनका लग
तँ बनतै हरक फारे सन
लगैए केखनो अप्पन
मुदा छै अनचिन्हारे सन
मफाईलुन मने ह्स्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ केर दू बेरक प्रयोगसँ बनल बहरे हजज मुरब्बा सालिम|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें