नेहक सूत बान्हि रखलियै करेजक कोन ओकरा,
बिसरल नइ भेल जकरा, ओ' बिसरि गेल हमरा ।
जिनगीक बाट जकरे आञ्गुर ध' चलब सिखेलियै,
बिचहि बाट में ओ' छोड़ि पड़ायल खसितहि हमरा ।
कहाँ बचल छै कनियो मोल आब अनमोल-नेहक,
सौंसे छै खाली टाकाक पुछ, आब लोकक पुछ ककरा ?
"चंदन" टाका त' छियै हाथक मैल सत्-संबंधक आगाँ,
जे नैं बुझैछ ई बात , बनैछ तकरे जिनगी फकरा ।
-----वर्ण-२०----
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