अति महत्वपूर्ण सूचना -----
होलीक शुभ अवसर पर एकटा आर ज्ञान अपने लोकनिकेँ बीच राखि रहल छी।
गजलकेँ अलावे एकटा आर टर्म छै उर्दूमे जकरा हजल कहल जाइत छै। आब इ बूझी जे गजल आ हजलमे की अंतर छै। व्याकरण मने रदीफ, काफिया आ बहर गजल आ हजल लेल एक समान छै। मुदा कथन अलग-अलग जतए गजल पूरा-पूरी गंभीर बातसँ बनै छै ओतहि हजल हास्यक फुलझरीसँ। मने हजल आ गजलमे खाली गंभीरताक अंतर छै। हमरा जहाँ धरि बुझाइत अछि जे मुसलमान शासक सभ राज-काजक बीचमे बोर भए जाइत छलाह तखन इ हजल सुनाएल जाइत छल हेतै। जे किछु हो आब जखन की मैथिली लेल गजल अनचिन्हार नै तखन हजल किएक पाछू रहत। आ ताहूमे होली सन अवसर पर। तँ आब चलू कने हजल दिस। आने दिन जकाँ हम एकटा पाँति दए रहल छी, एकरा पूरा कएल जाए----
हरदि-चून-करिखा लगाऊ हुनक मूँहपर
(UII+UII+UII+UII+UI) इ रुक्न बहरे मुतकारिब केर मुजाइफ रुप छै। चूँकि मैथिलीमे मूल बहर पर गजल नै छलै तँ हम एखन धरि मुजाइफ बहरक चर्चा नै करै छलहुँ। आगू होइत रहत।
होलीक शुभ अवसर पर एकटा आर ज्ञान अपने लोकनिकेँ बीच राखि रहल छी।
गजलकेँ अलावे एकटा आर टर्म छै उर्दूमे जकरा हजल कहल जाइत छै। आब इ बूझी जे गजल आ हजलमे की अंतर छै। व्याकरण मने रदीफ, काफिया आ बहर गजल आ हजल लेल एक समान छै। मुदा कथन अलग-अलग जतए गजल पूरा-पूरी गंभीर बातसँ बनै छै ओतहि हजल हास्यक फुलझरीसँ। मने हजल आ गजलमे खाली गंभीरताक अंतर छै। हमरा जहाँ धरि बुझाइत अछि जे मुसलमान शासक सभ राज-काजक बीचमे बोर भए जाइत छलाह तखन इ हजल सुनाएल जाइत छल हेतै। जे किछु हो आब जखन की मैथिली लेल गजल अनचिन्हार नै तखन हजल किएक पाछू रहत। आ ताहूमे होली सन अवसर पर। तँ आब चलू कने हजल दिस। आने दिन जकाँ हम एकटा पाँति दए रहल छी, एकरा पूरा कएल जाए----
हरदि-चून-करिखा लगाऊ हुनक मूँहपर
(UII+UII+UII+UII+UI) इ रुक्न बहरे मुतकारिब केर मुजाइफ रुप छै। चूँकि मैथिलीमे मूल बहर पर गजल नै छलै तँ हम एखन धरि मुजाइफ बहरक चर्चा नै करै छलहुँ। आगू होइत रहत।
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