कनि मनमे बसा तँ लिअ
प्रेमक लय लगा तँ लिअ
हम जन्मेसँ छी टुगर
नै हमरा कना तँ लिअ
सदिखन छी अहाँ हमर
ई हमरो जता तँ लिअ
बीते राति नै दिवस
आ जीवन बचा तँ लिअ
कोना जीब बिन अहाँ
प्राणेश्वर बना तँ लिअ
अछि ई नोर विरहके
संयोगक सजा तँ लिअ
‘मनु’केँ छी अहाँ सदति
ई सभकेँ बता तँ लिअ
(मात्राक्रम : 2221-212)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
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