हाथ मे खुरपी माथे पथिया,
चललौं करै कुकूरे बधिया
आञ्गि-नूआ' चेथरी-चेथरी,
नाक मे झूलै तइयो नथिया
पूत-कपूतो कहबैछ बौआ,
बुच्ची केर त' होय सरधिया
बहु-बेटी के जारि रहल छै,
सभकेँ चढ़लै की दुर्मतिया
नारी जननी होइछै "चंदन"
सृष्टि केर ई प्रेम-मुरतिया
-----वर्ण-११-----
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