बाल-गजल
बौआ कए हाथक तरुआ गमके
कारी बकरी,नब उज्जर महिष
लाल बाछी किए दौर-दौर बमके
बौआक घोरा सय-सय कए देखू
काका कें घोरा पिद्दी कतेक कमके
बाबी कें साडी मए कें लहंगा बहे
बौआ कें गघरी त कतेक झमके
बौआ हमर आब गुमशुम किए
किएक नै ठुमुक-ठुमुक ठुमके
(सरल वार्णिक, वर्ण-१३ )
***जगदानन्द झा 'मनु'
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