बुधवार, 28 मार्च 2012

गजल

स्वर्गक नाम जपैत सगरे नर्क पसरल छै
साधुक भेष धरि सगरे रावण अभरल छै

सब छे घिचने लक्ष्मण रेखा अपन चारू कात
लंका दहन केर नाम पर सब ससरल छै

रूप गेलै बदलि जमाना संग बानरोक आब
हनुमानक स्थान पर आब मारीच भरल छै

नियमबद्ध होएब लगै आब करैला सों तीत
एहि बात पर सगरे आब आगि धधकल छै

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों