"यदि बैसब कोठली मे लागत बेशी रंग यै
तोड़ी क केबार मोबिल लगा करब तंग यै
कारिका कादो लगा देब मोन हेएत चंग यै
बड़का शिकारी जेकाँ हमहूँ धेने छी ढंग यै
प्रेम सँ खा लिअ एकटा मिठका पड़ा भंग यै
डूबि जाऊ भौजी अहाँ मस्ती में ''अमित'' संग यै ...||
तोड़ी क केबार मोबिल लगा करब तंग यै
बनरी सन मुंह बना देब अहाँक भौजी यै
कारिका कादो लगा देब मोन हेएत चंग यै
बहिन कए कते देर नुका क रखबै यै अहाँ
बड़का शिकारी जेकाँ हमहूँ धेने छी ढंग यै
दौड़ा -दौड़ा क खत्ता में पटैक क राँगब हम
प्रेम सँ खा लिअ एकटा मिठका पड़ा भंग यै
लगबा लिअ दुनू गाल पर अबीर आ रंग
डूबि जाऊ भौजी अहाँ मस्ती में ''अमित'' संग यै ...||
अमित मिश्र
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