शनिवार, 31 मार्च 2012

गजल




जिनगी केर बाट पर काँट सौँसे गाड़ल छै,
नियति केर टाट बेढ़ सगरो दफानल छै ।

माय-बाप,भाय-बन्धु, छै झुठहि संबध सभ,
मोह-जाल ओझरायल जिनगी गतानल छै ।

कनियो जँ ढीठ बनि सुनलक कियो मन के,
छूतहर घैल बनल समाजो से बारल छै ।

लुटि-कुटि जीवन भरि आनल से बाँटि देल,
खाली हाथ आब देखि परिजन खौंझायल छै ।

बुढ़ भेल, दुरि गेल फकरा बनि बैसल छै
"चंदन" कहय केहन दुनिया अभागल छै ।

-----वर्ण-१७-----

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों