शनिवार, 10 मार्च 2012

गजल

उठा’क नजरि अहाँ जखन झुका लेलिएै

लजा’क पाएर अहाँ जखन नुका लेलिएै


रुप देखि एहन सुधि हरयलहुँ हम

घर जायब कोना रस्ता हम भुला गेलिएै


चान सन मुखडा केश कारी मेह'क सन

घण्टी मंदिर के जेहन श्वर सुना देलिएै


लगन जोर छल तैं संगम भेल अपन

गीत प्रीत'क संग संग गुनगुना लेलिएै


रचना सॉ अहाँ’क मोह एतेक हे ई्श्वर

पुष्प प्रेम'क की जरि जखन सुखा देलिएै


पिआस बढिते छल की दैव'क दोख देखू

लहास अपने कन्हा अपन उठा लेलिएै


अछि बेटि मे सजल जे प्रतिरुप अखन

पूँजी नेह'क ओकरे उपर लुटा देलिएै


फेरो असगर छी आबि अहाँ यादि बहुत

बिदा बेटि के केलौं आत्मा हम जुरा लेलिएै


धुल जमल फोटो देखैत जे नोर झरल

हवा तेज छल ओकरा हम उडा देलिएै

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों