बुधवार, 14 मार्च 2012

गजल


जगरने मे राति बीतल,

छलै नोरे, राति शीतल ।


चनो कनलै, ओस झहरल,


लगै छै तइँ, भोर तीतल ।


कछमछाइत मोन प्राणो,


करे फेरी, राति बीतल ।


बुझय चाही, नियति से रण,


रहल छी हाइर कि जीतल ।


पुछय सभ, की भेल "चंदन"


कही कोना अपन बीतल ।

---बहरे-मजरिअ (1222+2122)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों