गजल देखि दुनियाक रंग हम दंग रहि गेलहु
नीक नहियों लागल रंग तौयो सहि गेलहु
टुटल नाव तs संघ छल तैयो दहि गेलहु
दुनियाँक विकराल रूप देख ढहि गेलहु
आ हम ए.सी मे रहितो रौद सँ डहि गेलहु
'अमित " जाग आबो तs अपने सँ कहि गेलहु
नीक नहियों लागल रंग तौयो सहि गेलहु
बान्ह सँ बाहर निकलैत नवका पानि छलै
टुटल नाव तs संघ छल तैयो दहि गेलहु
ताकत अछि एते चिर देब पहाड़क सीना
दुनियाँक विकराल रूप देख ढहि गेलहु
सगरो भूख गरीबी दर्द सँ ग्रसित छै सब
आ हम ए.सी मे रहितो रौद सँ डहि गेलहु
पैघ हेबाक होर मे इज्जत सब बिसरलै
'अमित " जाग आबो तs अपने सँ कहि गेलहु
अमित मिश्र
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