शनिवार, 3 मार्च 2012

गजल

गजल देखि दुनियाक रंग हम दंग रहि गेलहु
नीक नहियों लागल रंग तौयो सहि गेलहु
बान्ह सँ बाहर निकलैत नवका पानि छलै
टुटल नाव तs संघ छल तैयो दहि गेलहु
ताकत अछि एते चिर देब पहाड़क सीना
दुनियाँक विकराल रूप देख ढहि गेलहु
सगरो भूख गरीबी दर्द सँ ग्रसित छै सब
आ हम ए.सी मे रहितो रौद सँ डहि गेलहु
पैघ हेबाक होर मे इज्जत सब बिसरलै
'अमित " जाग आबो तs अपने सँ कहि गेलहु
अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों