बाल गजल
आइ तारा केर नगरी सँ एथिन माँ ,
अपन कोरा झट द' हमरा उठेथिन माँ ,
खेलबै माँ संग आ रूसबै हँसबै ,
पकड़ि आँङुर गाम-घर मे बुलेथिन माँ ,
थाकि जेबै जखन , भोजन करा हमरा ,
गाबि लोड़ी आँचरक त'र सुतेथिन माँ ,
राम कक्का के परू छैक मरखहिया ,
सुरज के बकरी सँ हमरा बचेथिन माँ ,
हमर संगी संग माँ के घुमै सर्कस ,
आबि घर हमरो सिनेमा ल' जेथिन माँ ,
कत' सँ एलै मेघ कारी इ , अंबर मे ,
"अमित" मन डेराइ यै कखन एथिन माँ . . . । ।
फाइलातुन-फाइलातुन-मफाईलुन
2122-2122-1222
बहरे-कलीब
अमित मिश्र
मिहिर झा
जवाब देंहटाएंbahut sundar aur marmaantak
Chandan Jha
bahut neek
Jatasankar Choudhary
Atulniye
Ashish Anchinhar
bahut neek gajl ... ehi lel hamra lag shabd nahi achi
Amit Mishra
ahan sab gote k abhari chhi
जगदानन्द झा 'मनु'
वाह अमितजी , कमाल के गजल आ बिन मएयक बच्चाक मर्म चित्रण ,एक शव्द में Superb
Anil Mallik
राम कक्का के परू छैक मरखहिया ,
सुरज के बकरी सँ हमरा बचेथिन माँ...bahut neek
Ashutosh Mishra
wahhhh..Bahut nik..
Rajeev Singh
Your creation this time is totally different than normally I read. Emotion of orphan boy has been described by you in fantastic way.
Amit Mishra
dhanyawad
Ritesh Jha
Bad nik lagal ...