बाल गजल
बंदरो बैसलै चार पर
मूस दौगै गहुँम भरल घर
कोइली तन दै तार पर
नादि पर गाय दै दूध छै
नजर देने श्रवन ढार पर
स्वागत लेल बौआ कए
फूल मुस्कै गुथल हार पर
भोर भेलै उठल राजा यौ
"अमित " बौआ चढ़ल कार पर
*दीर्घ _हर्स्व _दीर्घ ३ बेर*
बहरे -मुतदारिक
अमित मिश्र
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