प्रेम केलौं कि केलहु कुकर्मे, सैह नहि जानि रहल छी,
अश्रुधार भसियाओल सभ-टा सपना, छानि रहल छी
सात जन्म धरि संग रहत, से सप्पत खयलक झूट्ठे,
फुसि छलै पिरीतक बतिआ, मन-अनुमानि रहल छी
धन-बैभव, ऐश्वर्यक आगाँ, के पुछतइ निरधन के,
सत्य-नेह के मोल ने किछुओ, गप-सभ जानि रहल छी
बीत गेलइ, से बात गेलइ, नै याद करब ने कानब'
फेरो नहि भसियेबै "चंदन", से निश्चय ठानि रहल छी
-----वर्ण-२१--------
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