नढ़िया भुकैत छै हमर घराड़ीपर
बसलौं परदेशमे हम खोबाड़ीपर
दूध-दही पान मखान सभ छोरि एलौं
छी पेट पोसने तँ दू टूक सुपारीपर
जे किछु कमेलहुँ हाथ-पएर तोरि कऽ
साँझ परैत खर्च भेल छूछे ताड़ीपर
बचेलौं बरख भरि पेट काति-काति कऽ
गमेलौं गाम जए-आबक सबारीपर
छोरु दोसरक आशा अपन बसाऊ यौ
घुरि आउ ’मनु’ सोनसन घराड़ीपर
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१५)
@ जगदानन्द झा ‘मनु’
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