गजल-२४
नहि फुरैछ हमरा आब प्रेम गीत
अंतर नहि किछुओ हारि हो वा जीत
टकटकी लगौने रहै छी राति-भरि
सपनो नहि आबय केयो मनमीत
श्मशान बनल अछि करेज हमर
पैसत के एहिमे सभ क्यो भयभीत
जीवैत छी मुदा बैसल छी मुर्दाघर
मुर्दा संग जीवन करैत छी ब्यतीत
"चंदन" जीवने सँ लगैछ आब डर
मृत्यु सँ हमरा अछि भऽगेल पिरीत
-----वर्ण-१४------
-----वर्ण-१४------
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