बाल गजल
संग चल ने मिल क' सब खेल खेलेबै
एक दोसर के पकड़ि रेल देड़ेबै
कोइली के गीत बंदर नचेबै हम
चान तारा धरि पहुँचि आइ देखेबै
कागजक नैया बना फूल कमलक चल
चल बड़ी पोखरि भसा नाव नेहेबै
दीप माटिक गढ़ि क' सब देबता पूजब
रोपि अरहुल खेत मे चल पटा एबै
माँटि लोटाएब आ साँझ धरि खेलब
"अमित" पढ़बै मन सँ बड़का त' बनि जेबै
फाइलातुन-फाइलातुन-मफाईलुन
बहरे-कलीब
अमित मिश्र
संग चल ने मिल क' सब खेल खेलेबै
एक दोसर के पकड़ि रेल देड़ेबै
कोइली के गीत बंदर नचेबै हम
चान तारा धरि पहुँचि आइ देखेबै
कागजक नैया बना फूल कमलक चल
चल बड़ी पोखरि भसा नाव नेहेबै
दीप माटिक गढ़ि क' सब देबता पूजब
रोपि अरहुल खेत मे चल पटा एबै
माँटि लोटाएब आ साँझ धरि खेलब
"अमित" पढ़बै मन सँ बड़का त' बनि जेबै
फाइलातुन-फाइलातुन-मफाईलुन
बहरे-कलीब
अमित मिश्र
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