मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

गजल



गजल-३१

नैनक बाण चलाके हम्मर अपटी खेत मे प्राण लेलौँ
झूठहि छल जे प्रेम-पिहानी से सभटा हम जानि गेलौँ

सप्पत खयने रही अहाँ जे आयब हम्मर सपना मे
सपना देखब सपने रहल निन्नो अहाँ दफानि लेलौँ

रहै मोन जे प्रेम-रस सँ भीजा गढ़ब नूतन जिनगी
हम एहि मे सौरभ मिझरेलौँ अहाँ नोर सँ सानि देलौँ

मोन छल जे मूक्त गगन मे उड़ब अहाँ आ' हम संगे
उड़ि गेलौँ कतऽ अहाँ ने जानि हमरा एहिठाँ छानि गेलौँ

हमरा बिनु जँ जीबि सकी तऽ जीबू अहाँ सुखक जिनगी
बाट तकिते अहीँ के "चंदन" काटब जिनगी ठानि लेलौँ

--------वर्ण-२१-----------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों