अनचिन्हार आखर
A Research Blog On Maithili Ghazal & Sher-o- Shayari
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शेर जे सभ दिन शेर रहतै
बुधवार, 18 अप्रैल 2012
रुबाइ
सत्तर टा मूस खा बिलाइ आबि गेल
अपन पुण्यक गीत तँ सौंसे गाबि गेल
पहीरि लेलक पाग लगा लेलक ठोप
फकसियार जकाँ सगरो मूँह बाबि गेल
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