खिड़की सँ सीधे देखै छलौँ हम चान
घन तिमिर मोनक छाँटै छलौँ हम चान
तेँ जागि आशा लगबै छलौँ हम चान
छवि संग तोहर भटकै छलौँ हम चान
बनि मेघ घोघट लागै छलौँ हम चान
सब दिन "अमित" नव आबै छलौँ हम चान
{दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व}
बहरे-सलीम
घन तिमिर मोनक छाँटै छलौँ हम चान
हेतै अपन फेरो भेँट ओतै जा क'
तेँ जागि आशा लगबै छलौँ हम चान
दिन भरि समाजक पहरा कतेको नयन
छवि संग तोहर भटकै छलौँ हम चान
लागै तरेगण लोचन पलक झपकैत
बनि मेघ घोघट लागै छलौँ हम चान
शुभ राति फेरो भेटब अमिय नेहक ल'
सब दिन "अमित" नव आबै छलौँ हम चान
मुस्तफइलुन-मफऊलातु-मफऊलातु
{दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व}
बहरे-सलीम
अमित मिश्र
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