जियबा के लेल आब सांस नहि छै बांकी ।२।
अहांसँ मिलन के कोनो आश नहि छै बांकी ।
मधुर मिलन के जे आश छल सेहो रहल अधुरा ।२।
जीनगी जियबा में आब किछू खास नहि छै बांकी ।
सपना जे सजल रहय सब जरीक छाउर भ गेल ।२।
जग में हमर अस्तित्व के होब नाश नहि छै बांकी ।
खुशी आ उमंग के सब गाछ में पतझड भ गेल ।२।
जीनगी में आब वसन्तक कोनो मास नहि छै बांकी ।
रचि-रचि क बाग सजेलौं बहार केरे आश में ।२।
कली त खिलल मुदा फुल में सुवास नहि छै बांकी ।
अनहरीया भेल हृदय सदैब अनहारे रहिगेल ।२।
आत्माके दीप में आब प्रकाश नहि छै बांकी ।
सदा के लेल मेटा लिअ हमर नाम अपन दिलसँ ।२।
अहाँ लेल अही धरती पर हमर लास नहि छै बांकी ।
------------------------------जीनगी जियबा में आब किछू खास नहि छै बांकी ।
सपना जे सजल रहय सब जरीक छाउर भ गेल ।२।
जग में हमर अस्तित्व के होब नाश नहि छै बांकी ।
खुशी आ उमंग के सब गाछ में पतझड भ गेल ।२।
जीनगी में आब वसन्तक कोनो मास नहि छै बांकी ।
रचि-रचि क बाग सजेलौं बहार केरे आश में ।२।
कली त खिलल मुदा फुल में सुवास नहि छै बांकी ।
अनहरीया भेल हृदय सदैब अनहारे रहिगेल ।२।
आत्माके दीप में आब प्रकाश नहि छै बांकी ।
सदा के लेल मेटा लिअ हमर नाम अपन दिलसँ ।२।
अहाँ लेल अही धरती पर हमर लास नहि छै बांकी ।
रचित तिथि - २० अप्रिल २०१२
पहिलबेर प्रकाशित : २० अप्रिल २०१२ (फेसबुक)
© गजलकार
www.facebook.com/kundan.karna
www.facebook.com/mghajal
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें