कनिया निक लगैय श्रृंगार कने सैज धैजके चलु
गला शोभैय हिरा हार कने चमैक चमैकके चलु
शोरह वसंतक जोवन लगैय हिमगिरी पहार
गोरी भगेल अहाँ से पियार कने सैट सैटके चलु
अहाँक रूपरंगक छाया में भSगेलैय लोक बीमार
चढ़ल छै कतेको कें बोखार कने हैट हैटके चलु
सोनपरी के देख दुनिया फेकी रहल छै मायाजाल
गोरी बड जालिम छै संसार कने बैच बैचके चलु
इन्द्रपरी गगन सं उतरी चलैय प्रभातक संग
देखैला लोक लागल बजार कने हैंस हैंसके चलू
............वर्ण-२०..................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
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