गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

प्रिंट पत्रिकाक संपादक आ गजलकारसँ अपील

पहिने गजलकार सभसँ----

कोनो पत्रिकाकेँ अपन गजल पठएबासँ पहिने ई देखू जे अहाँक गजल कोन बहरमे अछि। आ से देखि लेलापर तकर नाम लीखू आ संगे-संग ओहि बहरक मात्रा क्रम लिखबे टा करु। कारण अलग-अलग पत्रिकाक अलग-अलग वर्तनी आ ओहि हिसाबें प्रकाशित केने अहाँक गजलक बहर टूटि जाएत। एकरा हम एकटा उदाहरणसँ देखाएब। मानू जे अहाँ कोनो बहरक हिसाबसँ " कए " शब्दक प्रयोग केलहुँ जकर मात्रा क्रम छै UI "ह्रस्व-दीर्घ" मुदा कतेको पत्रिका एकरा " कय" बना देताह जकर मात्रा क्रम छै UU "ह्रस्व-ह्रस्व" वा I "दीर्घ" ( दूटा लघु मिला एकटा दीर्घ )। तँ कतेको पत्रिका एकरा खाली " क' " वा " क " लीखि देताह जकर मात्रा क्रम छै U "ह्रस्व"। आब अहाँ अपने बुझि सकैत छी जे वर्तनी बदलने मत्रा क्रम टूटि जाएत। मने बहर टूटि जाएत आ गजल बेबहर भए जाएत। ऐठाम हम खाली एकटा शब्दक उदाहरण देलहुँ अछि मुदा अनेको शब्दपर ई लागू हएत। तँए गजलक संगे-संग बहरक नाम आ ओकर मात्रा क्रम जरूर लीखी। संगहि-संग गजल वा शेरो-शाइरीक अन्य विधा कोनो पत्रिकाकेँ पठबैत काल संपादक जीसँ ई आग्रह करू जे जँ हुनका अपन वर्तनीक हिसाबें गजल नै बुझान्हि तँ गजल नै छापथि। कारण जखन बहर टूटिए जेतै तँ ओ गजल बेकार।छपियो जाएत तँ कोनो कर्मक नै। जँ गजल सरल वार्णिक बहरमे अछि तैओ ई समस्या आएत। उदाहरण लेल मानू जे अहाँ " नहि " शब्दकेँ प्रयोग करैत एकटा गजल सरल वार्णिक बहरमे लीखि संपादक जीकेँ देलिअन्हि मुदा ओ संपादक जी अपन वर्तनीक हिसाबें ओकरा " नै " लीखि देलखिन्हि। मतलब जे सरल वार्णिक बहर सेहो टूटि गेल। तँए गजलकार सभसँ विशेष आग्रह जे ओ प्रिंट पत्रिकाक संपादककेँ अनिवार्य रूपें लिखथि जे जाहि स्वरूपमे गजल छै ताही स्वरुपमे गजल प्रकाशित हेबाक चाही नै तँ प्रकाशित नै करु।

आब प्रिंट पत्रिकाक संपादक सभसँ-------

जँ संपादक महोदयमे कनियों बुझबाक शक्ति हेतन्हि तँ उपरका विवरणसँ हुनका गजलक संबंधमे व्यवहारिक समस्या बुझा जेतन्हि। तँए संपादक जी लेल हम विशेष नै लिखब।बस हमहूँ एतबे आग्रह करबन्हि जे अपन वर्तनीक पक्ष लए ओ गजलक संग बलात्कार नै करथि। जँ हुनका अपन वर्तनीकेँ रखबाक छन्हि तँ ओ गजलकेँ नै छापथि। या एकटा उपाय इहो भए सकैत छै जे ओ गजलकेँ छापथि आ संगे-संग ई नोट दए देथि जे " ई वर्तनी गजलकार विशेषक वर्तनी थिक, पत्रिकाक नहि"। अंतिकाक संपादक अनलकान्त जी अपन पत्रिकामे एहन नोट छापि लेखक विशेष आ अपन पत्रिका दूनूक वर्तनीक रक्षा केने छथि।
एकटा आर गप्प कविता जकाँ पाँतिकेँ सटा कए छापब गजल परंपराक विरुद्ध अछि। सङ्गे-सङ्ग एक पन्नाक दू भाग वा दू पन्नाक दू भागमे गजलकेँ छापब सेहो गजल परंपराक विरुद्द अछि। एकटा गजल दए रहल छी राजीव रञ्जन मिश्र जीक जाहिसँ ई पता लागत जे एकटा गजलक विभिन्न शेरक बीचमे कतेक जगह रहबाक चाही---------

गजल 

कखनो किछु बात बुझल करू मोनक
धरकन दिन राति बनल करू मोनक

ई जे सिसकल त' लता पता सुनलक
आहाँ फरियाद सुनल करू मोनक

छोहक मारल त' घड़ी घड़ी तड़पल
मरहम बनि घाव भरल करू मोनक

कहबो ककरो जँ करब त' के बूझत
संगे बस मीत रहल करू मोनक

गाबी राजीव सदति गजल नेहक
ततबा धरि चाह सुफल करू मोनक

2222 112 1222

शीर्षक द' क' गजल छापब बेकार कारण गजलक शीर्षक नै होइ छै। चूँकि एकटा गजलमे जतेक शेर होइ छै ओतेक विषय रहैत छै गजलमे तँए शीर्षक देबाक परंपरा नै छै। हम अपन एकटा गजल दए रहल छी जाहिसँ ई स्पष्ट हएत जे ऐ तरीकासँ गजल नै प्रकाशित हेबाक चाही-------

गजल
ओकर हाथसँ छूल अछि देह
सदिखन गम गम फूल अछि देह
प्रेमक उच्चासन मिलन छैक
दू टा घाटक पूल अछि देह
कोना चलि सकतै गुजर आब
देहक तँ प्रतिकूल अछि देह
गेन्दा सिंगरहार छै मोन
चम्पा ओ अड़हूल अछि देह
ऐठाँ अनचिन्हार चिन्हार
सभ देहक समतूल अछि देह
मात्रा क्रम-222-2212-21 हरेक पाँतिमे

ऐ तरीकासँ छापब गलत थिक। एहन रूपसँ गजल प्रकाशित करब परम्परा विरुद्ध अछि।गजलमे सदिखन दूटा शेरक बीचमे जगह हेबाक चाही। ओना हिन्दीमे सेहो  कविता जकाँ पाँति सटा क' गजल प्रकाशित कएल जाइत छै मुदा एकर मतलब नै जे दोसर इनारमे खसत तँ हमहूँ सभ खसि पड़ब।

1 टिप्पणी:

  1. जगदानन्द झा 'मनु' badd neek sujhab aa smadhan


    Poonam Mandal ई लेख लेखकसँ बेशी सम्पादक लेल महत्वपूर्ण। एकरा सभ पत्रिकाकेँ पठाओल जाए।

    Gunjan Shree-- bilkul thik baat chhaik,kateko sampadak aina ka ka gajal ke pran ghichhi lait chhathinh

    Ashish Anchinhar विदेह छोड़ि आन कोनो मैथिली पत्रिकाक सम्पादककेँ बहरक ज्ञान नै छन्हि।
    15 April at 23:28 · Like · 3

    Poonam Mandal--- sahmat chhi

    Ashish Anchinhar ee gajal kanha achi gunjan ji.. ee tan gajal par crcha achi..
    Tuesday at 12:17 · Like

    Gunjan Shree-- maaf karab sir dosar thamak post aihi thaam karaa gelai
    1
    Ashish Anchinhar कोनो बात नै।..

    Ashish Anchinhar अहाँ नीक गजल लिखै छी गुंजन जी मुदा कने व्याकरणपर जँ धेआन देबै तँ बहुत नीक हएत।..


    Gunjan Shree jee bilkul debaik muda kani hamar marg darshan kail jaye aihi me
    Tuesday at 12:24 · Unlike · 1
    Ashish Anchinhar अहाँक फेसबुक संदेश बाक्समे अनचिन्हार आखर केर पीडीएफ फाइल पठा देलहुँ अछि।...
    Tuesday at 12:26 · Like · 1

    Gunjan Shree thik chhaik
    Tuesday at 12:32 · Like

    कुन्दन कुमार मल्लिक बुझायत अछि जे Ashish Anchinhar जी सभ मैथिली पत्रिकाक सम्पादक लोकनिक ज्ञान केँ परीक्षा लय चुकल छथि. मैथिली गजल मे अपनेक योगदान अतुलनीय आ मीलक पाथर जेकां अछि. जहिया कहियो वा जतय कतओ मैथिली गजलक चर्चा हेतय ओतय अपनेक नाम निसंदेह सभ सँ पहिने आ आदरक संग लेल जायत। मुदा एना निन्दा केनाय कतेक उचित? आलोचन करी संगे संग निन्दा स' सेहो बची.

    मुदा फेर वैह गप कहब जे गजलक बारे मे हमरा ओतबे बुझल अछि जतेक कोनो गजल के बुझल हेतैक. किछु बेसी कहा गेल हुयै त' एहि टिप्पणी केँ मिटा देबैक.

    सादर-सप्रेम.


    कुन्दन कुमार मल्लिक एहि पांति के एना पढ़ल जाय-

    " गजलक बारे मे हमरा ओतबे बुझल अछि जतेक कोनो गजल के हमरा बारे मे बुझल हेतैक".
    Ashish Anchinhar ‎Kundan Kumar Mallick----हमर नाम लेल जाए की नै लेल जाए से विषय नै छै। बहस एहि बातकेँ छै जे गजलक आ मैथिली वर्तनीक व्यवहारिक समस्याक फरिछौट। से उपर पढ़ि कए बुझा गेल हएत अहाँकेँ। जहाँ धरि निन्दाकेँ गप्प छै। ओ आदमी उपर निर्भर छै। हम गजलक निखरल आ स्थिर स्वरूप चाहै छी आ ओहि लेल हमरा जँ किनको प्रसंशा वा खिद्दांसो करए पड़त तँ हम करबै।

    कुन्दन कुमार मल्लिक हमर टिप्पणी अहाँक आलेखक लेल नञि अपितु अपनेक टिप्पणीक संदर्भ मे छल-

    "Ashish Anchinhar विदेह छोड़ि आन कोनो मैथिली पत्रिकाक सम्पादककेँ बहरक ज्ञान नै छन्हि।"
    Tuesday at 14:06 · Unlike · 1
    Ashish Anchinhar ‎Kundan Kumar Mallick---हमहूँ ओही संदर्भमे कहलहुँ अछि आ फेर कहब जे...जहाँ धरि निन्दाकेँ गप्प छै। ओ आदमी उपर निर्भर छै। हम गजलक निखरल आ स्थिर स्वरूप चाहै छी आ ओहि लेल हमरा जँ किनको प्रसंशा वा खिद्दांसो करए पड़त तँ हम करबै।...
    Tuesday at 14:08 · Like

    Ashish Chaudhary KUNDAN JI, JAKHAN GAZHALAK VISHAY ME KICHHU NAI BUJHAL ACHHI TAKHAN BAHAS KIYE KAY RAHAL CHHI.
    Tuesday at 14:12 · Unlike · 1

    Ashish Chaudhary KUNDAN JI JAVAT AHAN AALOCHNA KEN NINDA AA NINDA KEN AALOCHNA BUJHAIT RAHBAI EHINA OJHARI ME PARAL RAHAB.
    Tuesday at 14:13 · Unlike · 1
    Ashish Anchinhar ‎Kundan Kumar Mallick---आ जे सही गप्प छै तकरा कहबामे हर्जे की। जँ अहाँकेँ कोनो एहन संपादकक नाम बुझल हो जे विदेहक नै होथि आ ओ बहर बुझैत होथि तनिकर नाम प्रमाण सहित देल जाए। ...
    Tuesday at 14:13 · Like

    Ashish Chaudhary KUNDAN MALLIK KEN GAZAL AA BAHARAK VISHAY ME KICHHU NAI BUJHAL CHHANHI SE O PAHINAHIYE GACHHNE CHHATHI
    Tuesday at 14:14 · Unlike · 1

    Ashish Chaudhary SANGE O AALOCHNA KEN NINDA BUJHAI CHHATHI, TEN CHINTA NAI KAROO AASHISH ANCHINHAAR JI
    Tuesday at 14:15 · Unlike · 1

    कुन्दन कुमार मल्लिक ‎Ashish Anchinhar एहि बात के निर्णय करय बला हम के जे कोन सम्पादक के कतेक ज्ञान छन्हि जखन हम पहिने स्पष्ट कय देने छी जे एहि विषय मे हमरा कोनो ज्ञान नञि. हमरा जे बुझायल से कहलहुँ.

    Ashish Chaudhary जखन दू गोटे गप करैत होय त' बीच मे नञि कूदबाक चाही.
    Tuesday at 14:19 · Like
    Ashish Anchinhar ‎Kundan Kumar Mallick---कोनो गप्प नै। ठीक छै जे बुझाएल से कहलहुँ तहिना आशीष चौधरीकेँ जे बुझेलन्हि से कहलाह। ई तँ फेसबुक छै केओ आबि कुदि जेताह। जँ प्रमाण अछि तखने गप्प करी।....
    Tuesday at 14:23 · Like · 3

    Ashish Chaudhary KUNDAN KUMAR MALLIK KEN SOCIAL SITE KER ETIQUETTE NAI BUJHAL CHHANHI, AU JI, DOO GOTEK BEECH GAP KARBAAK ACHHI TE MESSAGE , EMAIL, VAA CHAT PAR KAROO

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