शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

गजल

गजल-२१



कौआ कूचरल भोरे अँगना साँझ परैत औथिन्ह सजना,

छम-छम-छम-छम पायल बाजे खनकि उठल कंगना ।



सासुक बोली लगैए पियरगर ननदि बनल बहिना,

गम-गम-गमकय तुलसीक चौरा चानन सन अँगना ।



रचि-रचि साजल रूप मनोहर कत'बेर देखल ऐना,

टिकुली-काजर जुट्टी-खोपा नवका-नुआ चमकय गहना ।



पहिलहि साँझ बारल दीप-बाती जगमग घर-अँगना,

उगल चान असमान हृदय मे उठल विरह वेदना ।


सेज सजौने बाट तकैत छी एताह कखन घर सजना,

"चंदन" सजनी गुनधुन बैसलि की मांगब मुँह बजना ।


-----वर्ण-२२-----

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों