रविवार, 8 अप्रैल 2012

गजलक इस्कूल भाग-25

एकटा मिसरा दऽ रहल छी। इ बहरे-मुतकारिब मे अछि। मूल ध्वनि छै फऊलुन माने ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ (६ बेर)। अहाँ सब सँ आग्रह जे एहि मिसरा सँ शेर बनाबी आ गजल पूरा करी।

जखन राति आएल कारी, पिया यौ अहाँ मोन पडलौं।
· · · 11 March at 16:38
    • Om Prakash Jha Amit ji aa Chandan ji sa aagrah je ehi misra par dhyaan debai.
    • Om Prakash Jha Sangahi sab gote kani dhyan da ke ekra poora karbaak prayas kari.
    • Bipin Kr Verma jou padal barish bhari, piya yo aaha man padlou
    • Amit Mishra dhanyawad om ji ham kosis karab muda kane besi samay lagi sakai yai
    • Om Prakash Jha kono baat nai. koshish karu.
    • Amit Mishra जखन राति आएल कारी ,पिया यौ अहाँ मोन पड़लौ ,
      जखन होइ घर मोर खाली , पिया यौ अहाँ मोन पड़लौ ,

      अहाँ दूर बैसल सताबैत छी साँझ-भोरे सदिखन ,
      सनेसोँ जँ आएल देरी ,पिया यौ अहाँ मोन पड़लौ ,

      बरसलै प्रथम बूँद वर्षा , मिलन यादि आबै तखन यौ ,
      विरह केर तानल दुनाली ,पिया यौ अहाँ मोन पड़लौँ ,

      पिया जी जखन बहल पवना ,मधुर गीत गाबैत कोयल ,
      जखन काँट मे फसल साड़ी , पिया यौ अहाँ मोन पड़लौँ ,

      जँ देखब कतौ छिपकली डर सँ बोली फुटै नै हमर यौ ,
      जँ धड़कै हमर सून छाती , पिया यौ अहाँ मोन पड़लौँ ,

      कने आबि नेहक जड़ल भाग फेरो सँ चमका दिऔ यौ ,
      "अमित" आश देखैत रानी ,पिया यौ अहाँ मोन पड़लौ . . . । ।

      बहरे -मुतकारिब
      {ह्रस्व-दीर्ध-दीर्ध 6बेर सब पाँति मे }

      अमित मिश्र
    • Om Prakash Jha Vaah Amit ji vaah. Ahaan ta jhamka deliye, gamka deliye, ramka deliye...... Badd neek. Humar hisaabe dosar sherak pahil paanti me antim shabd sadikhan ke sthan par sadikhane ja da debay ta matra kram bilkul sahi rahat.
      Monday at 07:17 via Mobile · · 1
    • Amit Mishra khasma chahab ninel me type ke laun te galti baha gel
      Monday at 09:07 via Mobile · · 1


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