सोमवार, 23 अप्रैल 2012

गजल


हमर जीवन भरि करेजा तुटिते रहल
सब कियो हमरा सँ आई फुटिते रहल

जेकरा हम अपन तन मन सब सोपलौं
मोन कें ओ हमर सदिखन लुटिते रहल

हमर भागक कनिक लिखलाहा देखियौ
किछ जए लिखलौं छने में मिटिते रहल

पीठ पाँछा आब रेतै गरदैन अछि
प्रेम एक दोसर सँ सबतरि छुटिते रहल

आब बैसल मनु झमारल हारल कनै
जोडलौं कतबो मुदा मन तुटिते रहल

(बहरे जदीद -2122-2122-2212)
जगदानन्द झा 'मनु'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों