भेटल अहाँ के संग हमरा जहियेसँ
जिनगी हमर लेलक करोटो तहियेसँ
हम एकरा की कहब छल एहन भाग
बैसल छलौँ हम बाट मे दुपहरियेसँ
गेलौँ शिखर पर भेल जे एगो स्पर्श
जुड़ि गेल साँस प्राण संगे कहियेसँ
छी ग्यान के पेटी अहाँ जादू गजल
शाइरक कोनो कलम लागै हँसियेसँ
हम भेल नतमस्तक लिखब कोना शब्द
शाइर "अमित" छी संग हमरा जहियेसँ
मुस्तफइलुन-मुस्फइलुन-मफऊलात
2212-2212-2221
बहरे-सरीअ
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें