सोमवार, 16 अप्रैल 2012

गजल

पसरल छै शोणित सगरो बाटपर
घर-आँगन-बाड़ी-झाड़ी घाटपर


हम ठाढ़े रहि गेलहुँ बिनु दामकेँ
देखू बड़का अजगुत ऐ हाटपर


बाबा बनि चूसू सभहँक खून आ
धरमोकेँ छोड़ू बिच्चे बाटपर


कागतपर बनलै हस्पीटल सुनू
सौंसे रोगी सूतल छै खाटपर


भीजल आँचर तहिये गेलै सुखा
जहिया बैसल कौआ ऐ टाटपर



दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों