आइ हमर एकटा दोस्त कए वियाह अछि हुनका वियाहक ढेर रास शुभकामना आ बधाइ एहि गजलक संग ।
नव चान बैसल छै हमर कोहबर मे
सुन्नर मुँह नुकेने ओ अपन आँचर मे
एक कोण पर बैसल ओ लाले लाल लागै
ओ चुप छथि मुदा गाबै छी हम भीतर मे
नहूयेँ उठल घोघ मोन आनंदित भेल
जागल अथाह प्रेम मात्र एक नजर मे
नै मरलौँ नै जीलौँ बीचे मे रहि गेलौँ हम
पीब हुनकर स्पर्श सन मीठ जहर मे
सबदिन चान आबैए सजैए कोहबर
"अमित" आइ मागै छी जा ओ प्रेम नगर मे
वर्ण-16
अमित मिश्र
नव चान बैसल छै हमर कोहबर मे
सुन्नर मुँह नुकेने ओ अपन आँचर मे
एक कोण पर बैसल ओ लाले लाल लागै
ओ चुप छथि मुदा गाबै छी हम भीतर मे
नहूयेँ उठल घोघ मोन आनंदित भेल
जागल अथाह प्रेम मात्र एक नजर मे
नै मरलौँ नै जीलौँ बीचे मे रहि गेलौँ हम
पीब हुनकर स्पर्श सन मीठ जहर मे
सबदिन चान आबैए सजैए कोहबर
"अमित" आइ मागै छी जा ओ प्रेम नगर मे
वर्ण-16
अमित मिश्र
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