गजल-२६
कमला-कोशीक धार मे दहायल जिनगी
थाल-कादो सनायल मटिआयल जिनगी
निशाँ ताड़ीकेर मातल बौरायल जिनगी
माटि चाँगुर सँ कोरैछ भुखायल जिनगी
रौद जेठ केर जारल फुलायल जिनगी
एसी घर देखू बैसल घमायल जिनगी
टुअर-टापर नञ्गटे टौआयल जिनगी
देखू साजि-सम्हारल ओरिआयल जिनगी
देखू हँसैत कनैत आ' खौँझायल जिनगी
"चंदन" रूप अनेकहु देखायल जिनगी
-----वर्ण-१६--------
-----वर्ण-१६--------
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