शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

गजल


गजल-२६

कमला-कोशीक धार मे दहायल जिनगी

थाल-कादो सनायल मटिआयल जिनगी

निशाँ ताड़ीकेर मातल बौरायल जिनगी

माटि चाँगुर सँ कोरैछ भुखायल जिनगी

रौद जेठ केर जारल फुलायल जिनगी

एसी घर देखू बैसल घमायल जिनगी

टुअर-टापर नञ्गटे टौआयल जिनगी

देखू साजि-सम्हारल ओरिआयल जिनगी

देखू हँसैत कनैत आ' खौँझायल जिनगी

"चंदन" रूप अनेकहु देखायल जिनगी


-----वर्ण-१६--------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों