शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

गजल


बाल गजल-३



अहि बाटीमे अगबे रोटी चिन्नी संग-संगे दूधो छउ कम
ई बाटी छउ तोहर भइया सुन बाटी ई नञि लेबौ हम

चोरा कऽ चिन्नी फांइक रहल छै माँ के जा कहि देबउ हम

नञि तऽ एकटा फाँक अचारक दे उताइर कऽ खेबौ हम

खुरलुच्ची बनि लुच-लुच करबैं नानी मोन पड़ेबौ हम

आब
जँ बिठुआ कटबैं भइया दाँते काइट कनेबौ हम

सुनहिन बहिना तोरो अहिना कहियो मजा चखेबौ हम

ककरोसँ जो झगड़ा हेतौ किन्नहुं नञि आब बचेबौ हम

हासिल पड़का जोड़ नञि तोरा कहियो आब बतेबौ हम

चलहिन इस्कुल मैडमजीसँ पक्का माइर खुएबौ हम

*आखर-२२ (तिथि-०५.०४.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों