रविवार, 8 अप्रैल 2012

गजलक इस्कूल भाग-34

घोघ हुनकर उतरि गेलै
· · · 24 March at 00:36 via Mobile
    • Ashish Anchinhar ‎2122 के दू बेर प्रयोग
    • Akhilesh Jha Chinhar bh geli.
    • मिहिर झा घोघ हुनकर उतरि गेलै
      मारि ताहिपर बजरि गेलै
      घोर कलजुग एकरे कहै
      बर हुनकर ससरि गेलै
      24 March at 09:55 · · 4
    • Amit Mishra sundar panti achhi
    • Amit Mishra घोघ हुनकर उतरि गेलै ,
      पवन संगे ससरि गेलै ,

      जेठ मे मधुमास एलै ,
      गाछ नव दिल मजरि गेलै
      24 March at 12:00 via Mobile · · 4
    • Chandan Jha गजल-१७

      घोघ हुनकर उतरि गेलै,
      जोत सगरो पसरि गेलै ।

      बहल पुरबा जखन शीतल,
      आँचर तखने ससरि गेलै ।

      देखि हुनकहि ठोढ़ लाली,
      आगि छाती पजरि गेलै ।

      नैन लाजे हुनक झूकल,
      अटकि हमरो नजरि गेलै ।

      रूप यौवन निरखि "चंदन"
      मोन मधुकर मलरि गेलै ।
      Sunday at 10:16 · · 4
    • जगदानन्द झा 'मनु' झूठ कोना कें नुकायत
      जखन सोंझा बजरि गेलै
      Sunday at 12:01 · · 1
    • जगदानन्द झा 'मनु'Chandan Jha Ji आँचर तखने ससरि गेलै । me kichhu sanshodhan ke jrurat achhi
    • Chandan Jha मनु जी बहुत-बहुत धन्यवाद एहि ध्यानाकर्षनक हेतु.....एहि पाँति के एना पढ़ल जाउ.."हुनक आँचर ससरि गेलै ।"
    • जगदानन्द झा 'मनु' ‎"क्रोध देखल परुशरामकें"
      एहि पांति कें लिखु-
      "धनुष नै टूटैत देखै "

      धनुष नै टूटैत देखै
      प्राण सभ कें हहरि गेलै ,
    • Chandan Jha आँखि काजर भरल हुनकर,
      मेघ करिया उमरि गेलै ।...
    • Chandan Jha मोति के जगह "मोती" आ' गेलि के जगह "गेली" लिखब त' हमरा बुझने ठीक रहत.
    • Chandan Jha मनुजी एकबेर कने ठीक सँ देख लिय' जे "सुतल" होइ छइ आ'कि "सूतल"
    • जगदानन्द झा 'मनु'Chandan Jha jik... आँखि काजर भरल हुनकर,
      मेघ करिया उमरि गेलै ।...beshi neek
    • जगदानन्द झा 'मनु' धाख सबटा बिसरि गेलै
      घोघ हुनकर उतरि गेलै

      झूठ कोना कें नुकायत
      जखन सोंझा बजरि गेलै

      सय बचायब बचत कोना
      लाज सबटा ससरि गेलै

      ओ छलै फेसन सँ डूबल
      काज सबटा पसरि गेलै

      भेल नेता नींद में सब
      देश सगरो रगरि गेलै

      (बहरे-रमल,
      SISS दु-दु बेर सभ पांति में )
      ***जगदानन्द झा 'मनु'
    • Ruby Jha गजल

      घोघ हुनकर उतरि गेलै
      चान सूरज पसरि गेलै

      आँखि काजर भरल हुनकर,
      मेघ करिया उमरि गेलै

      देखि दाँतक चमक हुनकर
      शीप मोती पसरि गेलै

      फूल लोढे गेलि बारी
      गाछ सबटा झहरि गेलै

      गौर पूजै गेलि सीता
      राम ऊपर नजरि गेलै

      धनुष नै टूटैत देखै
      प्राण सभ कें हहरि गेलै

      हाथ मालाफूल लेने
      भूप सभटा उतरि गेलै

      ठार सीता राम निरखति
      पुष्प माला ससरि गेलै |

      (मत्रक्रम 2122,2122, सभ पांति में )
      >> रूबी झा <<
      Sunday at 18:47 via Mobile · · 2
    • जगदानन्द झा 'मनु'Ruby Jha ji badd sunner aa pahile sn besi neek
    • Sunil Kumar Pawan GREAT...........!! UTKRISHT.
    • Ruby Jha manu ji...aa sab goteyn ka dhanybad...hum akhqn sikh rahal chhi ta kne galat bha jaye ye...|
      Sunday at 18:56 via Mobile · · 2
    • Ashish Anchinhar काल्हि रूबी जीकेँ अनचिन्हार आखर मे इन्भाइट कएल जाएत
      Sunday at 19:40 via Mobile · · 3
    • Vijay Kumar badhiya bhelai aab garmee ke mausam mein sringaar nai bigadtainh
    • Ruby Jha Dhanybad ashis ji.....!!

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