दोसरक दर्द अपन बूझि जड़ि रहल छी हम
छी अपने समाजक तेँ संग मरि रहल छी हम
कखनो हँसलौँ कखनो कानलौँ सब रंग मे रंगि
भ' नै जाऊँ असफल तेँ बड डरि रहल छी हम
कोना बताएब खूनक एक एक बूँदक रहस्य
खूनक प्यासल बड छै तेँ हहरि रहल छी हम
नेह सगरो भेटि रहल छै खुले आम बजार मे
शीशा सन टूटल दिल जोड़ि तरि रहल छी हम
आइ देखलौँ दुनियाँ हम अपन खुलल आँखि सँ
" अमित " आइ बूझलौँ अनेरे जड़ि रहल छी हम
वर्ण-19
अमित मिश्र
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