सोमवार, 9 अप्रैल 2012

गजल





बीतल दिनक ओ प्यार कत' चलि गेल यौ
नेहक जुड़ल ओ तार कत' चलि गेल यौ


जै ताल मे हम भासि गेलो सादिखने
मचलैत छल ओ धार कत' चलि गेल यौ

फूलो सँ कोमल घेँट मे लटकैत जे
दू बाँहि के ओ हार कत' चलि गेल यौ

सब अंग छै गाथा कला के कहि रहल
मधुमास के श्रृंगार कत' चलि गेल यौ

बदलैत मौसम के मजा नै आब छै
जेठक तपल ओ जाड़ कत' चलि गेल यौ

छै कल्पना मे बनल रचना मात्र ओ
छै "अमित" के ओ प्यार कत' चलि गेल यौ

मुस्तफइलुन
दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ
बहरे-रजज
अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों