गजल-३०
हमतऽ कनिते रही आँखिक नोरे सूखा गेलइ
अपने कानब पर देखू हमरा हँसा गेलइ
लोक पुछलक जखन कहल ने भेल किछुओ
असगरे आइ सभ बात अनेरे बजा गेलइ
साओन-बदरी जे आगि उनटे धधकि उठल
आइ सैह आगि एकबूँद पसेने पझा गेलइ
बैसि अँगना भरि राति गनैत छलौँ तरेगन
आइ सैह तरेगन केयो आँचर सजा गेलइ
कतेको साल सँ पटबैत छलौँजे गाछ "चंदन"
आइ अँगना मे सैह रोपल गाछ फुला गेलइ
--------वर्ण-१८-----------
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