बेचि खेलक इमानो बजार मे
नाचि रहलै इ दुनियाँ अन्हार मे
के अपन आब छथि एत से कहू
नेह सबटा त बेचल हजार मे
भोर किछ राति किछ भेष सब घरै
के असल छै इ लोकक पथार मे
भाइ नै भाइ के रहल आब यौ
लोक चुटकी ल' रहलै दरार मे
बेचि एलै जखन रोटी एक क'र
"अमित" नै देख आशक सचार मे
मुजाइफ
212-212-212-12
अमित मिश्र
नाचि रहलै इ दुनियाँ अन्हार मे
के अपन आब छथि एत से कहू
नेह सबटा त बेचल हजार मे
भोर किछ राति किछ भेष सब घरै
के असल छै इ लोकक पथार मे
भाइ नै भाइ के रहल आब यौ
लोक चुटकी ल' रहलै दरार मे
बेचि एलै जखन रोटी एक क'र
"अमित" नै देख आशक सचार मे
मुजाइफ
212-212-212-12
अमित मिश्र
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