शनिवार, 14 अप्रैल 2012

गजल

बेचि खेलक इमानो बजार मे
नाचि रहलै इ दुनियाँ अन्हार मे

के अपन आब छथि एत से कहू
नेह सबटा त बेचल हजार मे

भोर किछ राति किछ भेष सब घरै
के असल छै इ लोकक पथार मे

भाइ नै भाइ के रहल आब यौ
लोक चुटकी ल' रहलै दरार मे

बेचि एलै जखन रोटी एक क'र
"अमित" नै देख आशक सचार मे

मुजाइफ
212-212-212-12

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों