सोमवार, 16 अप्रैल 2012

गजल

उठलै करेजामे दरदिया हो राम
भेलै पिया जुल्मी बहरिया हो राम

कुक कोइलीकें सुनि हिया सिहरल हमर
आँखिसँ बहे नोरक टघरिया हो राम 

साउन बितल जाए  सुहावन मन सुखल
एलै पियाकेँ  नै कहरिया हो राम

जरलै हमर  जीवन बिना प्रेमक आगि
लागल हमर सुखमे वदरिया हो राम

जीवन मनुक बनलै बिना तेलक दीप 
कोना जरत  मोनक  बिजुरिया हो राम

(बहरे सरीअ, मात्रा क्रम  - २२१२-२२१२-२२२१)

@ जगदानन्द झा ‘मनु’

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों