उठलै
करेजामे दरदिया हो राम
भेलै
पिया जुल्मी बहरिया हो राम
कुक
कोइलीकें सुनि हिया सिहरल हमर
आँखिसँ
बहे नोरक टघरिया हो राम
साउन
बितल जाए सुहावन मन सुखल
एलै
पियाकेँ नै कहरिया हो राम
जरलै
हमर जीवन बिना प्रेमक आगि
लागल
हमर सुखमे वदरिया हो राम
जीवन
‘मनु’क बनलै बिना तेलक दीप
कोना
जरत मोनक
बिजुरिया हो राम
(बहरे सरीअ, मात्रा क्रम - २२१२-२२१२-२२२१)
@
जगदानन्द झा ‘मनु’
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