गजल-२५
चलू एकबेर फेर रंगमंच सजाबी
बहुरूपिया-रूप धरी आ नाच देखाबी
दुनिया बरू बूझत बकलेले हमरा
हमरा अछि सख जे दुनियाके हँसाबी
सुन्दर अभिनेता त' जगभरि भेटय
हमर मोन जे पाठ लेबराक खेलाबी
दुनिया के रंगमंच जे लागैछ निरस
आउ एकरा जीवन-रस बोर डुबाबी
"चदन" ई जे गुमसूम बैसल जीवन
चलू अपने पर हँसि एकरा हँसाबी
-----वर्ण-१५--------
-----वर्ण-१५--------
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