[अनचिन्हार आखर कए प्रति हमर सोच ]
गजल सँ परिचय करेलक अनचिन्हार आखर ,
गजलक ,अ,आ,इ,ई सिखेलक अनचिन्हार आखर ,
गजलक ,अ,आ,इ,ई सिखेलक अनचिन्हार आखर ,
भटकै छलौँ गीत आ कविता मे ओझरा हम कतेक ,
लिखबाक मकसद बतेलक अनचिन्हार आखर ,
दू पाँति मे बात कहब सिखेलक अनचिन्हार आखर ,
एगो अलगे दुनियाँ बसेलक अनचिन्हार आखर ,
"अमित" कए शायर बनेलक अनचिन्हार आखर .
लिखबाक मकसद बतेलक अनचिन्हार आखर ,
साहित्यक रंगबिरही विधा मे एकटा गजलो छैक .
दू पाँति मे बात कहब सिखेलक अनचिन्हार आखर ,
आबि गजलक भंडार मे ,केओ गजल गाब लागत ,
एगो अलगे दुनियाँ बसेलक अनचिन्हार आखर ,
जा धरि लिखब गजले टा लिखबाक कोशिश करब ,
"अमित" कए शायर बनेलक अनचिन्हार आखर .
इ मात्र हम्मर अपन सोच अछि ।
अमित मिश्र
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