प्रस्तुत अछि मुन्नी कामत जीक आजाद गजल
मुदत्ते बाद महफिलसँ मुँह झाम निकलल
बेकार छल निकलल जेना काम निकलल
हरा गेल भीड़मे आबि कऽ ताकी निङ्गहारि
नतीजा जे छलै निकलबाक सरे-आम निकलल
छिन गेल सरताज हमर खाली माथ हँसोथी
बेबस बनि लाचार शर्मसार अवाम निकलल
फेर सत्तामे अबैक उम्मीद नै एक्को रती
घुरब नै फेर आइ ओ देने पैगाम निकलल
सच तँ ई अछि राजनीतिमे दाग लागल
मुन्नी अपनेे करमसँ कत्लेआम निकलल
मुदत्ते बाद महफिलसँ मुँह झाम निकलल
बेकार छल निकलल जेना काम निकलल
हरा गेल भीड़मे आबि कऽ ताकी निङ्गहारि
नतीजा जे छलै निकलबाक सरे-आम निकलल
छिन गेल सरताज हमर खाली माथ हँसोथी
बेबस बनि लाचार शर्मसार अवाम निकलल
फेर सत्तामे अबैक उम्मीद नै एक्को रती
घुरब नै फेर आइ ओ देने पैगाम निकलल
सच तँ ई अछि राजनीतिमे दाग लागल
मुन्नी अपनेे करमसँ कत्लेआम निकलल
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