रविवार, 16 सितंबर 2012

हजल

हजल-२

कनिया सुन्नर देशी चाही
ठाठ   मुदा  परदेसी चाही

बंगला - गाड़ी नोकर संगे
दरमाहो किछु  बेशी चाही 

कूलरसँ   नै   देह  शीतेतै
शौचालय तक एसी चाही

सिगारे टा नै हो अंग्रेजिया 
मदिरा  सेहो  विदेशी चाही

गाए-महीश पोसै में लाज
कुक्कुर-घोड़ा मवेशी चाही   

देशक  मर्यादा  नै  बिगड़ै    
छूट  मुदा  परदेसी  चाही

पश्चिम  पैर   पसारै  रोकू
"नवल"सोच स्वदेशी चाही 

*आखर-१० (तिथि-२५.०८.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों