शनिवार, 29 सितंबर 2012

गजल

प्रस्तुत अछि जगदीश प्रसाद मंडल जीक  गजल




गाछक रंग बदलि‍ बहल छै
मौसम संग सुधरि‍ रहल छै

थल-कमल जकाँ कहि‍यो छल
गाढ़ लाल-उज्ज‍र जे बनल छै

तहि‍ना फूल-फल कोढ़ी‍ जकाँ जे
झरि-झरि‍ कोनो फड़ो फड़ल छै‍

आशा आश लगा-लगा कऽ रहतै
जीत अपराजि‍त ओ हँसल छै

सुधरि‍ रूप बदलि‍ चालि सेहो
कारी काजर चमकि‍ उठल छै

लत्ती पानि‍ रूप बदलि‍ बदलै
थल-कमल बनैत बढ़ल छै

तहि‍ना लत्ती अपराजि‍त भए कऽ
जगदीशकेँ गछाड़ि‍ धड़ल छै

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों