प्रस्तुत अछि जगदीश प्रसाद मंडल जीक गजल
गाछक रंग बदलि बहल छै
मौसम संग सुधरि रहल छै
थल-कमल जकाँ कहियो छल
गाढ़ लाल-उज्जर जे बनल छै
तहिना फूल-फल कोढ़ी जकाँ जे
झरि-झरि कोनो फड़ो फड़ल छै
आशा आश लगा-लगा कऽ रहतै
जीत अपराजित ओ हँसल छै
सुधरि रूप बदलि चालि सेहो
कारी काजर चमकि उठल छै
लत्ती पानि रूप बदलि बदलै
थल-कमल बनैत बढ़ल छै
तहिना लत्ती अपराजित भए कऽ
जगदीशकेँ गछाड़ि धड़ल छै
गाछक रंग बदलि बहल छै
मौसम संग सुधरि रहल छै
थल-कमल जकाँ कहियो छल
गाढ़ लाल-उज्जर जे बनल छै
तहिना फूल-फल कोढ़ी जकाँ जे
झरि-झरि कोनो फड़ो फड़ल छै
आशा आश लगा-लगा कऽ रहतै
जीत अपराजित ओ हँसल छै
सुधरि रूप बदलि चालि सेहो
कारी काजर चमकि उठल छै
लत्ती पानि रूप बदलि बदलै
थल-कमल बनैत बढ़ल छै
तहिना लत्ती अपराजित भए कऽ
जगदीशकेँ गछाड़ि धड़ल छै
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