गुरुवार, 27 सितंबर 2012

गजल

गजल-२०

सावन  सुधा  बरसतै  कहियो
प्रेमक  पुष्प  गमकतै कहियो

टांग अड़ाबय जे बनि बाधक
अपने पेंचमे फँसतै कहियो      

अनका लेल जे खाइध खुनै छै
स्वयं अनचोके खसतै कहियो

जकरा बूझि चाली छोड़ि देलहुँ
भऽ गहुमन ओ डसतै कहियो

सभके  हाथमे द्वेशक पाथर
मोनक-कांच चनकतै कहियो

मनुख-मनुखसँ डाह जँ छोड़ै
डीह  उजड़लो बसतै कहियो

अति के अंत"नवल" निश्चित छै
माँ मिथिला फेर हँसतै कहियो

*आखर-१२ (तिथि-११.०८.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों