गजल
सुख भरल संसार चाही
हमर सब अधिकार चाही
धार शोणित संग बहतै
बायुमे टंकार चाही
नै महल गाड़ी नम्हर नै
छोट सन ओहार चाही
नै दहेजक माँग राखब
बस मखानक भार चाही
दैव नै देखै मनुख केँ
भगतकेँ गोहार चाही
चुल्हि अलगे भाइ केलक
माइ के पेटार चाही
नीक कनियाँ संग लुरि बुधि
दोखदर नै सार चाही
फाइलातुन
2122 दू बेर
बहरे रमल
अमित मिश्र
सुख भरल संसार चाही
हमर सब अधिकार चाही
धार शोणित संग बहतै
बायुमे टंकार चाही
नै महल गाड़ी नम्हर नै
छोट सन ओहार चाही
नै दहेजक माँग राखब
बस मखानक भार चाही
दैव नै देखै मनुख केँ
भगतकेँ गोहार चाही
चुल्हि अलगे भाइ केलक
माइ के पेटार चाही
नीक कनियाँ संग लुरि बुधि
दोखदर नै सार चाही
फाइलातुन
2122 दू बेर
बहरे रमल
अमित मिश्र
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