गजल-२२
कतबो सुख - सुविधा बाहर भेटत
अपनैती धरि अपने घर भेटत
भगवान रहै छथि मोनक भीतर
मंदिर - मसजिद बस पाथर भेटत
निज मोन कराबै भावक अनुभव
कागत पर अगबे आखर भेटत
अनका आदर देबय नञि जा धरि
अपनो नै कतउसँ आदर भेटत
"नवल"सम्हारि धरु डेग अहाँ निज
सभ बाट कलंकक काजर भेटत
*आखर-१४ (तिथि-२४.०८.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
कतबो सुख - सुविधा बाहर भेटत
अपनैती धरि अपने घर भेटत
भगवान रहै छथि मोनक भीतर
मंदिर - मसजिद बस पाथर भेटत
निज मोन कराबै भावक अनुभव
कागत पर अगबे आखर भेटत
अनका आदर देबय नञि जा धरि
अपनो नै कतउसँ आदर भेटत
"नवल"सम्हारि धरु डेग अहाँ निज
सभ बाट कलंकक काजर भेटत
*आखर-१४ (तिथि-२४.०८.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)
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